मारजा की पाैसाळ से अर्थशास्त्री बनने तक के अनुभवाें की गाथा

अात्मकथा लिखने का साहस हर व्यक्ति में नहीं हाेता। अात्मकथा में स्वयं की खूबियाें के साथ अपनी खामियाें काे सार्वजनिक करने का साहस प्रेरक हाेता है। कई मंजिलें कई मुकाम एेसी अात्मकथा है जाे मारजा की पाैसाळ से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री हाेने तक के सफर की अादर्श अात्मकथा है। रविवार काे अजित फाउंडेशन सभागार में पद्मभूषण अर्थशास्त्री प्राे.विजयशंकर व्यास की लिखी अात्मकथा कृति कई मंजिल-कई मुकाम पर चर्चा करते हुए एेसे ही अनेक विचार उभर कर अाए। चर्चा के दाैरान लाेककला मर्मज्ञ डाॅ.श्रीलाल माेहता ने इस अात्मकथा में ईमानदारी के साथ संघर्षपूर्ण जीवन अाैर बाधाअाें काे पार कर मंजिल काे हासिल करने की गाथा हम सबके लिए प्रेरक है। इस माैके पर साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने अात्मकथा में दृढ इच्छा शक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह कृति अादर्श के अायामाें काे सामने रखती है। चर्चा के दाैरान शंकरलाल हर्ष अाैर राजेंद्र जाेशी ने प्राे.व्यास के जीवन काे प्रेरणादायी जीवन बताया। इस माैके पर नदीम अहमद नदीम अाैर डाॅ.कृष्णा अाचार्य ने भी विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में फाउंडेशन समन्वयक संजय श्रीमाली ने स्वागत किया। चर्चा में बाबूलाल छंगाणी, कमल अाचार्य, गिरिराज कल्ला, महेश व्यास, परमेश्वर अादि माैजूद थे।

पद्मभूषण अर्थशास्त्री प्राे.विजयशंकर व्यास की अात्मकथा कई मंजिले-कई मुकाम पर हुई चर्चा